एक नयी किरण

mumbai sunrise

 

आज की तारिख एक नयी उमंग लेके आयी है,
जुडी हूँ में एक ख्वाब से और ये तरंग उसकी परछाई है,
उस ख्वाब ने मेरे हाथ में एक कलम थमाई है,
कोई प्रसंग नहीं मेरी इस कविता की पर एक रौशनी इसमें समायी है,
उगते सूरज से दोस्ती कर मेने भी कदम बढ़ाये हैं,
भूल के पुराने इतिहास को नए रंग मेने अपनाये हैं,
धीमे धीमे ये किरणें अपना आक्रोश घर ले आयी हैं,
और खोल कर खिड़कियाँ मेरे मन की मेरे घर की दीवारें जगमगायीं हैं,
दिन बढ़ने लगा है, और ये गुदगुदियाँ मुझे अब चुबने लगीं हैं,
पर दोस्त हैं ये मेरी ये सोच कर ये चुभन भी घुलने लगी है,
खट्टी मीठी ये दोस्ती मुझे एक नया नजरिया दिखलाती है,
और रौशन कर मेरे आँगन को हर रात किसी दूसरे आँगन में घर कर जाती हैं,
और मै सोच में पड़ जाती हूँ, क्या ये किरणें बेवफा हैं,
पर दोस्त है वो मेरी और उनकी दोस्ती ही वफ़ा है,
कल फिर वो मेरे उठने से पहले जाग जाएगी,
और मेरे ख़्वाबों की किलकारियों को सुनके मुझे गले लगाएगी,
यह ख्वाब आज से मेरी ज़िन्दगी का एक हिस्सा है,
और हर रोज़ ये कलम सुनाएगी मुझे एक किस्सा है…..

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